कहानी --दादा दादी के किस्से
नन्हा सा मयंक स्कूल से लौटकर बड़ा ही मायूस बैठा था।
उसे उदास देखकर उसकी दादी ने उससे पूछा
,, क्या बात है मयंक बेटा ,तुम इतने उदास क्यों हो?,,
मयंक उदासी से बोला
,, दादी मां ,आज मैं बहुत उदास हूं।,,
दादी ने पूछा
,, क्यों क्यों उदास हो बेटा?,,
मयंक ने कहा
,, दादी मां, जो किस्से आपने चंदामामा के बारे में बताया था वह बिल्कुल ही झूठा था।
आपने जो जो बताया था वह सारी बातें गलत थी। क्योंकि हमारे स्कूल की टीचर ने चंदामामा के बारे में जो बताया वह कुछ बिल्कुल ही अलग है जो आपने बताया था।,,
दादी यह सुन कर जोर जोर से हंसने लगी।
मयंक की बात सुनकर दादाजी भी हंसने लगे ।
मयंक एक 10 साल का छोटा सा बच्चा था ।
उसके मम्मी पापा दोनों ही बाहर काम करते थे।
मयंक का अधिकांश समय अपने दादा दादी के साथ ही बीतता था ।
सुबह मयंक को स्कूल उसके मम्मी पापा ड्रॉप कर दे फिर वापस लाने का काम दादा-दादी था ।
और फिर से लेकर शाम तक मयंक अपने दादा दादी के साथ ही रहता था।
यहां तक कि वह अपने दादा दादी के साथ ही सोया करता था ।
दादा दादी के साथ स्टोरी सुनते हुए रात में सो जाता अपने दादा दादी के लाडले की बात सुनकर दादा दादी दोनों ही खिलखिला कर हंस पड़े ।
दादाजी ने कहा
मयंक बेटा, तुम्हारी मैम ने आखिर क्या बताया चंदामामा के बारे में ?,,
मयंक--,, हमारी टीचर ने बताया कि चांद का नाम मून( ) है ।
वह हमारी धरती का एक उपग्रह ।उस पर कहीं कोई पानी नहीं ।वह बिल्कुल ही निर्जन है ।
वहां लाइफ तो बिल्कुल भी नहीं है ।वह हमारी धरती का चक्कर काटता रहता है। वह धरती का एक नैचरल सेटेलाइट है ।,,
दादाजी मुस्कुराने लगे
,, उन्होंने कहा
,, मयंक बेटा, यह तो विज्ञान की बातें हैं। क्या हर चीज विज्ञान होता है? क्या तुम्हें लगता है।,,
मयंक मासूमियत से बोला
,, नहीं दादा जी ,सब कुछ विज्ञान तो नहीं होता।,,
दादाजी ने कहा
,, हां जैसे हिंदी, अंग्रेजी ,साहित्य लिट्रेचर गणित होते हैं ,उसी प्रकार विज्ञान होता है ।
विज्ञान की परिभाषा अलग होती है।
अगर विज्ञान कहानियां सुनाने लगे तो फिर सच कौन बताएगा?
लेकिन कहानियों की भी तो कोई जगह होती है ना यह सुनकर मयंक मुस्कुराने लगा।
दादी मां मुस्कुराते हुए बोली
,,मयंक बेटा ,आप चलो जल्दी से नहा लो ।मैं खाना निकालती हूं।
फिर हम लोग दिन में थोड़ा सो जाएंगे ।,,
मयंक बोला
,,हां ठीक है दादी मां।
लेकिन आप मुझे फिर से स्टोरी तो सुनाओ गे ना।,,
दादी मां बोली
,, हां बिल्कुल, जरूर सुन आऊंगी।,,
मयंक मुस्कुराते हुए नहाने के लिए चला गया ।
खाने के बाद वह दादी मां की गोद में जाकर चिपक गया।
उसने दादी मां से मचलते हुए कहा
,,दादी मां ,अब मुझे फिर से चंदा मामा की कहानी सुनाओ। ,,
दादी मां ने मुस्कुराते हुए कहा
,,हां हां ठीक है चलो तुम लेटो मैं अभी कहानी सुनाती हूं ।
,,बहुत पुरानी बात है .चंदा मामा के भीतर एक परी रहती थी ।
उसके दोनों पंख चांदी के बने थे ।जब वह दोनों पंख खोलकर उड़ती थी ।
चांदी से रंगा हुआ पूरा चंदा मामा गोल गोल चमकने लगता था ।
जब परी अपने लोक जाने लगी तब चांद ने उससे कहा
,, परी रानी तुम मुझे अपना चांदी का रंग दे दो ताकि मैं गोल-गोल चमकता रहूं। परी ने उसे अपना रंग दे दिया और फिर वह अपने लोग उड़ गई।
तबसे चंदा मामा हमारे बिल्कुल चांदी की तरह चमचम चमकते रहते हैं ।,,
दादी ने मयंक की तरफ देखा।
मयंक गाढ़ी नींद में सो चुका था।
सपनों की दुनिया में खो चुका था।
दादी के किस्से फिर से अमर हो गए थे।
दादी ने दादाजी की तरफ मुस्कुरा कर देखा और फिर दोनों हंस पड़े।
***
सीमा..✍️🌷
©®
#लेखनी दैनिक प्रतियोगिता
आँचल सोनी 'हिया'
14-Sep-2022 08:57 PM
Achha likha hai 💐
Reply
Barsha🖤👑
13-Sep-2022 09:34 PM
Beautiful
Reply
Kaushalya Rani
13-Sep-2022 09:16 PM
Beautiful
Reply